BPSC Teacher Recruitment :पटना (Patna News) बिहार: बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) ने 1.70 लाख पदों की शिक्षक बहाली परीक्षा का आयोजन किया था, लेकिन इस परीक्षा के परिणामों में गड़बड़ी और घोटालों के आलोचना के साथ सियासी गर्माहट तेजी से बढ़ रही है। इस परीक्षा में असफल रहे अभ्यर्थियों ने आयोग के कार्यालय के सामने प्रदर्शन किया है, और सोशल मीडिया पर नीतीश सरकार और बीपीएससी के खिलाफ आलोचना की जा रही है।
बीपीएससी द्वारा आयोजित शिक्षक बहाली परीक्षा के परिणामों में गलतियों और घोटालों के आलोचनाओं ने बिहार राज्य में सियासी हलचल मचा दी है। असफल अभ्यर्थियों ने इस मामले में आयोग की जमकर आलोचना की है और इसके परिणामस्वरूप पटना के आयोग के कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया है।साथ ही, सोशल मीडिया पर भी नीतीश सरकार और बीपीएससी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया गया है, जिसमें असफल अभ्यर्थियों ने अपनी आलोचना और आसपास के घटनाओं के साथ इस मुद्दे को गर्मी से उठाया है।
विपक्ष की मांग: उच्चस्तरीय जांच की मांग
विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने इस मामले में घोटालों की जांच की मांग की है, और पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने भी इस मुद्दे को गंभीरता से लिया है। उनका आरोप है कि इस परीक्षा में नीतीश सरकार द्वारा पैसे लेकर नौकरियां बांटी गई हैं, जिससे घोटालों की आशंका है।
इस मुद्दे पर आलोचकों का कहना है कि शिक्षक बहाली परीक्षा में गलत तरीके से नौकरियां दी गई हैं और इसके परिणामस्वरूप घोटालों की बू आ रही है। इसके बावजूद, सरकार और आयोग ने इस परीक्षा को लेकर सशस्त्र आलोचना को नकारा है और नौकरियों की बांटवारा के लिए प्रयासरत हैं।
विपक्ष और अन्य आलोचकों का यह भी कहना है कि इस शिक्षक बहाली परीक्षा की भर्ती प्रक्रिया में अनियमितताएं हुई हैं और उच्च योग्यता वाले उम्मीदवारों को बाहर छोड़ दिया गया है। विपक्ष ने इस परीक्षा में हुई घोटालों की जांच की मांग की है और उच्चस्तरीय जांच की जरूरत का आलंब दिया है।
शिक्षक अभ्यर्थियों का आरोप है कि इस परीक्षा में नीतीश सरकार द्वारा पैसे लेकर नौकरियां बांटी गई हैं, जिससे घोटालों की आशंका है। उनके अनुसार, इस प्रक्रिया में नियुक्ति पत्र देने की बजाय नियुक्ति पत्र के लिए पैसे लेने का आरोप है, जिसे जांच की आवश्यकता है।
पटना हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद, पंचायती राज संस्थानों और शहरी स्थानीय निकायों के माध्यम से की गई शिक्षकों की नियुक्तियों के मामले में समस्या का समाधान सात साल से बिलकुल नहीं हुआ है। इस मामले में शिक्षकों के दस्तावेजों के साथ जुड़े 77,000 से अधिक फ़ोल्डर अब तक गुम हो गए हैं, जिससे उन्होंने आपत्ति दर्ज की है। शिक्षक संघ के प्रमुख नगेन्द्र यादव ने कहा कि पिछले सात सालों में वे कई बार मामला सुलझाने के लिए सरकारी अधिकारियों के पास गए, लेकिन उन्हें कोई सुनवाई नहीं मिली है।
इस मामले में बीपीएससी के कर्मचारियों के खिलाफ भी आलोचनाएं हैं और विभिन्न प्रकार के घोटालों के आरोप उठाए गए हैं। इसके परिणामस्वरूप आयोग की जांच की मांग की जा रही है।इस पूरे मामले में, बीपीएससी की भर्ती प्रक्रिया और परीक्षा प्रक्रिया के खिलाफ आलोचनाएं हैं, और इसके परिणामस्वरूप इसे गर्मी से उठाया जा रहा है। विपक्ष के नेता और असफल अभ्यर्थियों के द्वारा बीपीएससी के खिलाफ उठाई जा रही आलोचनाएं और इसे अदालत में ले जाने की योजना के साथ, इस मामले में जांच की मांग की जा रही है।
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