सरकार के आदेश की उड रही धज्जिया
राज्य के शिक्षा विभाग ने निजी स्कूलो के संचालन के लिए कई व्यवस्था तो दी है, लेकिन उसका अनुपालन अधिकांश निजी स्कूलो के संचालक नही कर रहे है, संचालको को छात्र-छात्राओ को बेहतर शिक्षा और शुल्क निर्धारण के लिए कई आदेश तो दिया, लेकिन सरकार के ये आदेश बडे-बडे शिक्षा माफिया के दबाव में डीईओ ऑफिस में दब गए । विभाग ने कोचिंग संचालको को नियंत्रित करने के लिए कई आदेश दिया, लेकिन उसका हश्र भी वही हुआ जो निजी स्कूलो पर आए आदेश का हुआ । कोचिंग संचालक पहले तो प्लस टू के छात्रो को भाडे से लाए गए शिक्षको से पढवा कर एक मुश्त एक साल के लिए 50-60 हजार वसूल लिया जाता है, फिर इसके बाद शिक्षक बदल दिया जाता है । मुजफ्फरपुर में सीबीएसई बोर्ड से निबंधित कई प्लस टू स्कूलो का हश्र तो इससे भी बुरा है । बोर्ड से तो सब्जवाग दिखाकर निबंधन करा लेते है, लेकिन अधिकांश बडे-बडे स्कूल नियमो के आलोक में नही चल रहा है । कई शिक्षा माफियो ने तो बोर्ड से फेंक नाम पर निबंधन कराने में कामयाब भी हो गए और पॉकेट गर्म कर रहा है । ऐसे कई स्कूलो के पास अपना लैब और क्लास रूम भी नही है, ऐसे स्कूलो में शिक्षक भी रखे गए है तो काम चलाउ ।लेकिन स्कूल वाले छात्रो से लैब के नाम पर प्रतिमाह मोटी रकम वसूल कर रहा ,फिलहाल शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव का ध्यान राजकीय स्कूलो पर है, और वे स्कूलो में बेहतर शिक्षा व्यवस्था देने के प्रयास में है,सूत्रो की माने तो अपर मुख्य सचिव का ध्यान निजी स्कूलो की ओर भी है । कई बिहार बोर्ड तथा सीबीएसई बोर्ड से निबंधित प्लस टू स्कूलो के पास बच्चो को खेलने तक के लिए मैदान नही है, लेकिन नियमो के बिरूद्व स्कूल चल रहा है । नियमत स्कूल खेलने और चलाने के लिए पर्याप्त अपना भूमि तथा कमरा होना चाहिए, लेकिन यहा के अधिकांश स्कूले भाडे के मकान में चल रहा है, जहा छात्र-छात्राओ के लिए क्लास रूम भी नदारत है । छात्रो को पीने के पानी के लिए दूसरे के मकान में जाना पडता है, कई ऐसे भी स्कूल है जहा शौचालय का अभाव है । कई सीबीएसई स्कूल के संचालको स्कूलो में सरकारी नियमो की अनदेखी कर टियूसन फी बढा कर खाकपति से करोड पति हो गए, स्कूलो में छात्रो को शिक्षा देने के नाम पर वैसे शिक्षको को रख लिया गया है, जिनकी योग्यता पर भी सवाल खडा हो रहा है, बच्चे स्कूल से पढ कर घर जाता है तो कई ऐसे प्रश्नो के गलत उतर से उसके अभिववाक परेशान हो जाते है । लेकिन टियूसन फी वसूल करने में कोई कमी नही होती है। सूत्रो का कहना है कि कई ऐसे स्कूल है, जो बडा तो है, लेकिन उनका निबंधन किसी और के नाम है ।फिर भी केंद्र और बिहार सरकार खामोश है ।
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