इस मामले आयोग फैसला लेने में सक्षम
देश के सुुप्रीम अदालत ने शुक्रवार को सुनवाई के दौरान बिहार में कोरोना संकट और बाढ़ को लेकर चुनाव पर रोक लगाने वाली याचिका को खारिज ककर दी है, कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करने से इनकार करते हुए कहा कि कोरोना महामारी बिहार चुनाव को स्थगित करने का आधार नहीं हो सकती। हम कोरोना की वजह से इसे नहीं टाल सकते। इस मामले में चुनाव आयोग ही सब कुछ फैसला लेगी। जनहित याचिका में सर्वोच्च न्यायालय से बिहार के कोरोना और बाढ़ से पूरी तरह मुक्त होने तक चुनाव के लिए अधिसूचना जारी नहीं करने का निर्देश चुनाव आयोग को देने को कहा गया था, जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि कोविड-19 के आधार पर चुनावों को नहीं टाला जा सकता। भारत का चुनाव आयोग ही सबकुछ तय करेगा। बेंच ने कहा कि यह एक प्रीमैच्योर याचिका है क्योंकि चुनाव आयोग की तरफ से विधानसभा चुनावों के लिए अब तक कोई अधिसूचना जारी नहीं की गई है। मुजफ्फरपुर के अविनाश ठाकुर की ओर से यह याचिका अधिवक्ता नीरज शेखर ने दायर की थी।
आयोग की गाइडलाइंस के बाद चर्चा गर्म
दरअसल, बीते शुक्रवार को भारत निर्वाचन आयोग ने कोरोना काल में चुनाव कराने संबंधी गाइडलाइंस जारी की थी। इसी के बाद लोग चर्चा कर रहे हैं कि बिहार विधानसभा चुनाव तय समय पर ही होगा। हालांकि चुनाव आयोग की तरफ से इस बारे में कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है। बिहार की सभी विपक्षी पार्टियां कोरोना और बाढ़ से त्रस्त राज्य में चुनाव टालने की मांग कर रही हैं। इन दलों को एनडीए में शामिल एलजेपी का साथ भी मिल रहा है।
आरजेडी ने उठाए वोटरो के बीमा का सवाल
आरजेडी के वरिष्ठ नेता रजनीकांत यादव ने शाुक्रवार को चुनाव आयोग की गाइडलाइंस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, चुनाव के दौरान कोई वोटर कोरोना की चपेट में आए तो क्या होगा, उन्होंने कहा ऐसी हालत में मतदाताओं के लिए बीमा कवरेज होना आवश्यक है। कोरोना महामारी के वक्त चुनाव कराने का विरोध कर रही आरजेडी ने यह भी कहा कि चुनाव आयोग की गाइडलाइन्स में कई स्पष्टीकरण की जरूरत है। आरजेडी सांसद मनोज झा ने कहा कि मतदाताओं को बीमा कवर दिया जाना चाहिए क्योंकि चुनाव में मतदाता ही मुख्य हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अगर चुनाव आयोग गाइडलाइन्स पर स्पष्टीकरण नहीं देता है तो एसी संभावना है कि 30 से 32 फीसदी कम वोटिंग होगी।