चुनावी रोटी सेकने के चक्‍कर में सारे वादे भूल गए नीतीश सरकार

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5 सालो में भी नही बढा कार्यपालक सहायको का मानदेय

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बिहार की नीतीश सरकार सिर्फ केंद्र की राजनीति में पांव जमाने के चक्‍कर में है, वैसे तो बिहार में आरजेडी, कांग्रेस, वामपंथ और जेडीयू की सरकार चल रही है । लेकिन संयुक्‍त सरकार को पंचायत कार्यपालक सहायको से किए गए वादे भूल याद नही है । ये सरकार सिर्फ चुनावी रोटी सकने में मस्‍त है । एक तरफ पंचायतो व टोलो में नियुक्‍त किए शिक्षा सेवक के समान नियुक्‍त किए गए कार्यपालक सहायको की बदहाल जिंदगी जस के तस रह गए । बिहार की मौजूदा सरकार की यही स्थिति रही तो आने वाले चुनाव में इसका खामियाजा भुगतना पड सकता है । कहा जाता है कि नीतीश सरकार एक तरफ  पंचाय और टोलों में बहाल शिक्षा सेवक तामीली मरकज और टोला सेवक का मानदेय कहाँ से कहाँ पहुंचा दी वही पंचायतों में ही बहाल शिक्षा सेवक के ही बराबर संख्या में बहाल कार्यपालक सहायक जो कि सरकार का डिजिटल हैंड कहा जाता है, सरकार की सभी योजनाओं को दिन रात एक करके धरातल पर लाती है,  पंचायत कार्यपालक सहायक का मानदेय 5 सालो से ज्‍यो का त्‍यो है, उन्‍हें मात्र 14700 रुपये जबकि सभी कार्यपालक सहायक 300 से 400 km दूर दूसरे जिले से बहाल होकर कार्य करने आ रहे हैं, जाति गणना में रात के 2 बजे तक कार्य करके सभी डेटा को ऑनलाइन करने वाला कोई और नही कार्यपालक सहायक है, जहा शिक्षक नही वहा भी उनसे कार्य ले लिया जाता है । चुनावो के कामो में भी कार्यपालक सहायको को लगा दिया जाता है और इनसे बंधुआ मजदूरो के समान काम लिया जाता है । और तनख्वा दी जाती है मात्र 14700 रुपये

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