तो मुजफ्फरपुर  के एसएनएस कॉलेज में लूट का चल रहा खेल

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हेराफेरी के शक पर सचिव ने फिर लौटाई अनुदान सूची

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मुजफ्फरपुर के श्‍यामनंदन सहाय कॉलेज में सरकारी अनुदान में हेराफेरी करने का एक मामला प्रकाश में आया है,  एक सेवा निवृत्त तथाकथित लेखापाल को सरकारी राशि में अन्‍य कर्मियो से ज्‍यादा लाभ दे दी गई है, और कॉलेज के प्रभारी प्रध्‍यापक ने उनके मामले में सारे नियम और कायदे को तोड दिया है, कहते है कि तथाकथित लेखापाल को 1991 से अनुदान की लाभ दे दी गयी है, जिस पर विवि के अधिकारियों ने एजराज जताते हुए रिकवरी कर फिर सूची भेजने का आदेश दिया दिया है,न जाने कैसे प्रभारी प्रध्‍यापक के इस गलत निर्णय पर कॉलेज के वर्सर भी आंख मूंद कर ठप्‍पा मार दिए, अखिर सचिव ने उन्‍हें वर्सर क्‍यो बनाया, कहते है कि सूची सुधार कर कॉलेज के सचिव के पास तो भेजा गया, लेकिन संदेह हाने पर वे फिर सूची लौटा दिए है, कहा जाता है कि राज्‍य सरकार ने 1991 में उक्‍त कॉलेज के लिए कोई पद सृजित  नही की है, हालांकि राज्‍य सरकार ने 1988 में कुछ पद दिया है, जिन्‍हें भी कॉलेज प्रबंधन ने 1991 के बराबर मानते हुए वरीयता को ताक पर रखते हुए अनुदान की राशि दे दी है, सूत्रो का कहना है, जिन्‍हें 1991 के आधार पर अनुदान दी गई है, उनकी पोस्‍ट 1912 में 11 अन्‍य कर्मियो के साथ सिंडीकेट से स्‍वीकति हुए थे, उनके साथ जिन कर्मियो के पद स्‍वीकत किए गए, उन्‍हें अनुदान में कम राशि दे दी गई, और अन्‍य को लाख रूपए से ज्‍यादा दी गई, यहा एक गंभीर सवाल उठता है कि अन्‍य के राशि कहा चंपत हो गए  । विदित हो कि राज्‍य सरकार ने उक्‍त कॉलेज को वितिय वर्ष  2012-13, 14-15 और 16  मद में साढे सात करोड दिया है, जिसमें एक किश्‍त 3 करोड तो बंट गए, लेकिन विवि अधिकारियो ने कॉलेज से दूसारी किश्‍तो के लिए भेजे गए सूची में हेराफेरी को देखते हुए रोक दी है, और कॉलेज प्रबंधन को भेजे गए सूची को लौटाते हुए उसमें सुधार कर भेजने का आदेश दिया गया है, लेकिन एक को बचाने के चक्‍कर में अभी तक सूची तैयार नही किया गया, सूत्रो का कहना है कि एक निजी स्‍कूल के शिक्षक को फिर से सूची तैयार करने को कहा गया है, कॉलेज के कुछ प्रध्‍यापको को कहना है कि एक तथाकथित पूर्व लेखापाल के इसारे पर कॉलेज के अधिकारियों ने सरकारी पैसो का जमकर हेराफेरी की है,अनुदान में हुए लूट की सूचना सरकार को देते हुए जांच की मांग की गई है,जांच अगर हुई तो लूट खसोट करने वाले एक बडा रॉकेट का पर्दाफाश हो जाएगा,कॉलेज सूत्रो की माने तो तथाकथित लेखापाल जो लैब इंचार्य थे,वे 31 अगस्‍त को सेवा निवृत्त तो कर गए, लेकिन वहा के प्रभारी प्रध्‍यापक ने उन्‍हें फिर गार्डिंग के नाम पर डयूटी में ले लिया है, चर्चा है कि वहा के प्रभारी प्रध्‍यापक उससे चोर दरबाजे से सारे लेखा विभाग का काम लेने के लिए  स्‍थायी लेखापाल होते हुए फिर एक अनटेंड को लेखापाल की जिम्‍मेवारी दे दी है,यहा सवाल उठता है कि कॉलेज में लेखापाल है तो फिर अन्‍य को क्‍यो उक्‍त महत्‍वपूर्ण विभाग का प्रभार दिया गया,यह एक सोचनिय सवाल है, सूत्रो का कहना है कि सेवा निवृत्त हुए तथाकथित लेखापाल प्रभारी प्रध्‍यापक के दाहिने हाथ है,प्रभारी ने परीक्षा विभाग का दायित्‍व एक सेवा निवृत्त कर्मी को दे रखा है, जो पूर्व  लेखापाल के खास है,और जिन्‍हें प्रभारी ने लेखा विभाग की जिम्‍मेवारी दी है, वह परीक्षा विभाग के सेवा निवृत्त कर्मी का खास है,ऐसे में प्रभारी प्रध्‍यापक ने एक तीर से दो निशाने लगाने में कामयाब हो गए, ऐसे में जो लेखा विभाग में गए हे,वे डम्‍मी रहेंगे और चोर दरबाजे से सारे खेल पूर्व तथाकथित लेखापाल खेलते रहेंगे ।

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