सीएम नीतीश का पीएम पद के दावेदारी से इंकार

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Patna: Bihar Chief Minister Nitish Kumar addressing at a function for the inauguration of developmental schemes of Department of Energy in Patna on Thursday. PTI Photo (PTI5_11_2017_000111A)
पर उनके स्‍वागत में लगी पीएम के नारे

बिहार के सीएम दिल्‍ली से पटना लौअ आए है, वे तो पीएम पद की दावेदारी से इंकार कर चुके है, लेकिन जेडीयू के कार्यकर्ता उन्‍हें पीएम के रूप में जोरदार स्‍वागत किया, वही पर कुछ खडे अन्‍य दल के कार्यकर्ता कहते सुने गए कि मुंगेरी लाल के हसीन सपने देख रहे जेदयू के लोग, हालांकि सीएम नीतीश कुमार दिल्ली में विपक्षी एकता के लिए दलों को जोड़ने के प्रयास में कांग्रेस के पूर्व सांसद राहुल गांधी से मिलकर लौटे है,  उनकी पार्टी जनता दल यूनाईटेड (जदयू) ने उन्हें अगला पीएम ही मान लिया। वह बार-बार कह रहे कि वह इस पद के दावेदार नहीं, लेकिन शुक्रवार को जब वह जदयू दफ्तर पहुंचे तो इसी नारेबाजी के साथ फूलों की बारिश से उनका स्वागत किया गया- देश का पीएम कैसा हो, नीतीश कुमार जैसा हो! इस नारेबाजी से जदयू नेताओं ने उत्साह भले दिखाया हो, लेकिन विपक्षी एकता की मुख्यमंत्री की मुहिम के लिए यह गलत संदेश दे गया।

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सभी बोले बैठकर तय करेंगे नेता
सीएम  नीतीश कुमार ने गुरुवार शाम दिल्ली यात्रा से लौटने के बाद खुद कहा था कि शुरुआती बातचीत अच्छी हुई है, आगे की बातचीत सभी दलों के नेता एकजुट होकर करेंगे। दिल्ली में मुख्यमंत्री जिन नेताओं से मिले, उन सभी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने विपक्ष के किसी एक नाम पर अपनी मुहर नहीं लगाई। मुहर तो दूर की बात, इसपर चर्चा से भी इनकार किया। सांसदी जाने से पहले कांग्रेस राहुल गांधी के अलावा किसी नाम पर तैयार नहीं थी, अब वह बातचीत के लिए आगे भी आई है और नीतीश इसलिए दिल्ली गए भी। वामदलों के बीच भी नाम को लेकर कोई चर्चा नहीं है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बिहार के सीएम या अन्‍य किसी नाम पर सहमत हो जाएगी, यह अभी कहना मुश्किल है,  

एकजुटता को लेकर वर्चस्‍व की लड़ाई भी जगजाहिर
भाजपा के खिलाफ एकजुट हो रहे दलों में नेतृत्व को लेकर अंदर ही अंदर वर्चस्व की लड़ाई है। उसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद को प्रधानमंत्री पद की दौड़ से बार-बार बाहर बताकर विपक्षी दलों की एकजुटता का प्रयास तेज किया है। लेकिन, अब दिल्ली से उनके लौटते ही जदयू नेताओं ने जो रुख अपनाया है, उसे अगर कांग्रेस, तृणमूल या वामपंथी दलों ने गंभीरता से ले लिया तो सारी मेहनत पर पानी भी फिर सकता है।

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