बिहार में भी सभी मंत्री आगे
बाजी हाथ से निकल जाए तो विरोधी हावी हो जाते है, लेकिन सियासत में बाहुवली पीएम मोदी ने सभी विरोधियों को चुनाव से पूर्व हुए एक्जिट पोल में काफी आगे निकल गए है, हालांकि अधिकारिक तौर पर अभी चुनाव परिणाम घोषित नही किए गए है, 23 मई को यह फैसला हो जाएगा कि केंद्र में किसकी सरकार। 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में बाहुवली ने सभी विरोधियों को पटकनी देते हुए आगे निकल गए थे, लेकिन फिर 2019 के चुनाव में बाहुवली रिर्टन कर गए है और उनके खिलाफ एक जुट हुए सभी विरोधियों को चीत करते हुए आगे निकल गए है, उस समय भी ईबीएम पर सवाल उठाए गए थे, विरोधियों ने फिर ईबीएम पर सवाल उठाने लगा है, अंतिम चरण का चुनाव चल रहे थे, वही विरोधी केंद्र में सरकार बनाने की ताल ठोक रहे थे, आंध्र के सीएम चंद्र बाबू ने तो केंद्र में सरकार गठन के विपक्षियों को एक जुट करने में लग गए, लेकिन एक्जिट पोल के नतीजे आने के बाद खामोश हो गए, 23 को होने वाली विपक्षियों की बैठक भी टल गए, हालांकि विपक्ष चुनाव में केंद्र के खिलाफ रोजगार, नोटबंदी और जीएसटी का सवाल तो उठाया, लेकिन मोदी के राष्टवाद का मुद्दा सब पर भारी पड़ गया। बंगाल के सीएम ममता ने तो मोदी को हटाने के लिए कोलकता में विपक्षियों लामबंद भी की, लेकिन उन्हें भी सफलता हाथ नही लगी। बिहार में भी मोदी के खिलाफ तेजस्वी, जीतन राम मांझी, उपेन्द्र कुशवाहा, और कांग्रेस के कई दिग्गज नेता एक साथ आ गए, लेकिन मोदी लहर के सामने उनकी एकता हवा में रह गए, एक्जिट पोल के अनुसार बिहार के महत्वपूर्ण सीटे बेगुसराय, पटना साहिब, पाटलिपुत्र, मधपुरा और जमुई भी एनडीए के खाते में जा रहा है, सारण सीट पे कांटे की टक्कर है।
सियासत में बाहुबली का बल्ले-बल्ले
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