उच्च शिक्षा निदेशक ने दिए थे सख्त आदेश
बिहार की उच्च शिक्षा व्यवस्था दो के लडाई में बिल्कुल चौपट हो गई है । बिहार के सीएम ने राजभवन और शिक्षा विभाग के बीच चल रहे अधिकार के सवाल पर लडाई का पटाक्षेप नही किया तो उच्च शिक्षा का हाल और चौपट हो जाएगा । उच्च शिक्षा विभाग के निदेशक डा0 रेखा कुमारी बीआरए बिहार विश्वविद्यालय का अंकेक्षण कराने का फैसला लिया, उनके निर्देश के आलोक में अंकेक्षण दल के अधिकारियों ने कई बिन्दुओ पर रिकार्ड खंगालने पहुंचे तो वितिय अनियमितता उजागर हुई, अंकेक्षण रिपोर्ट के आलोंक उच्च शिक्षा निदेशक ने विवि के कुलसचिव को घोटाले के दोषी अधिकारियों व कर्मियो के बिरूद्व तीन दिनो के अंदर थाने में एफआईआर दर्ज कराने का आदेश दिया,कुछ नही हुआ, और कुलसचिव ने अभी तक कोई एफआईआर दर्ज नही कराई । अखिर विवि सरकार का आदेश क्यो नही मान रहा है, यह एक सवाल है । शिक्षा विभाग के सूत्रो की माने तो विवि और कॉलेज चलाने के लिए विभाग पैसा देती तो हिसाब कौन लेगा । सूत्रो का कहना है कि अंकेक्षण अधिकारियों को जांच के दौरान कई घोटाले का पर्दाफास किया है, कहते है कि अंकेक्षण अधिकारियों ने जो रिपोर्ट उच्च शिक्षा विभाग दी है,उसमें कई पूर्व और वर्तमान अधिकारियों का फंसना तय है । चर्चा है कि इसलिए विवि कार्रवाई करने से हिचक रही है । सूत्रो का कहना है कि अंकेक्षण दल के अधिकारियों ने रिपोर्ट में 6 बिन्दुओ पर सवाल उठाए गए है । नियमत किसी कार्य को कराने के लिए टेंडर निकाला जाना आवश्यक है,लेकिन यहा ऐसा नही हुआ,विवि अधिकारियो ने बिना टेंडर निकाले 2017-18 तक सीधे 58 लाख 62 हजार का प्रश्न पत्र छपाई के नाम पर खर्च कर दिया, और तो और विवि अधिकारियों ने इतनी बडी चुक कर दी कि कंपनी से एकरारनामा भी करना भूल गया । स्टेशनरी समानो की खरीद के लिए भी टेंडर किया जाना है, लेकिन विवि अधिकारियों ने बिना टेंडर और एकरारनामे 38 लाख की स्टेशनरी समानो का ऑर्डर दे दिया । अंकेक्षण दल के अधिकारियो ने अपनी रिपोर्ट में घोटाले के कई अहम सवाल उठाया है, जिसमें अधिकारियों का फंसना तय है । विवि अधिकारियों ने श्रम कानून की भी धज्जिया उडा कर रख दी है,दैनिक वेतन कर्मियो को तीन श्रेणीयों में रखा गया है, किसी को 19 हजार तो किसी को 10 हजार मानदेय दिया जा रहा है । इन कर्मियो को कैसे रखी गयी है, मांगे जाने पर विवि अधिकारियों ने अंकेक्षण दल के अधिकारियो को कोई संचिका नही दी, जो अपने आप में एक गंभीर सवाल है । सूत्रो की माने तो उच्च शिक्षा विभाग के निशाने पर कइ्र अंगीभूत और सबंध डिग्री कॉलेज भी है, कई संबद्व कॉलेजो में अनुदान वितरण के दौरान जमकर घोटाला किए गए है, कुछ कॉलेजो का तो पुख्ता सबूत विभाग को हाथ लगा है ।
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