बिहार मंत्रिमंडल में जाति आधारित विभाजन: कितने मंत्री किस जाति के हैं

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Patna: Bihar Chief Minister Nitish Kumar addressing at a function for the inauguration of developmental schemes of Department of Energy in Patna on Thursday. PTI Photo (PTI5_11_2017_000111A)

नीतीश कैबिनेट में जाति आधारित विवाद

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बिहार में हाल ही में हुई जाति आधारित जनगणना की रिपोर्ट ने राज्य की सियासी मंडलों में हलचल मचा दी है। इसके बाद, नीतीश मंत्रिमंडल (Nitish Cabinet) के सभी मंत्रियों की जाति का विवरण सार्वजनिक किया गया है।

देखें मंत्रियों के नाम और उनकी जाति

संख्या नाम जाति पार्टी
1 तेजस्वी यादव यादव आरजेडी
2 तेज प्रताप यादव यादव आरजेडी
3 आलोक कुमार मेहता कुशवाहा आरजेडी
4 अनिता देवी नोनिया अतिपिछड़ा आरजेडी
5 सुरेंद्र प्रसाद यादव यादव आरजेडी
6 प्रो. चंद्रशेखर यादव आरजेडी
7 ललित यादव यादव आरजेडी
8 जीतेंद्र कुमार राय यादव आरजेडी
9 रामानंद यादव यादव आरजेडी
10 कुमार सर्वजीत पासवान आरजेडी
11 सुरेंद्र राम चमार अनुसूचित जाति आरजेडी
12 मो. शाहनवाज आलम मुस्लिम आरजेडी
13 मोहम्मद इसराइल मंसूरी मुस्लिम आरजेडी
14 शमीम अहमद मुस्लिम आरजेडी
15 समीर कुमार महासेठ बनिया अतिपिछड़ा आरजेडी
16 नीतीश कुमार कुर्मी जेडीयू
17 विजय कुमार चौधरी भूमिहार जेडीयू
18 बिजेंद्र प्रसाद यादव यादव जेडीयू
19 अशोक चौधरी पासी अनुसूचित जाति जेडीयू
20 शीला मंडल धानुक जेडीयू
21 श्रवण कुमार कुर्मी जेडीयू
22 संजय झा ब्राह्मण जेडीयू
23 लेशी सिंह राजपूत जेडीयू
24 मोहम्मद जमा खान मुस्लिम जेडीयू
25 जयंत राज कुशवाहा कोइरी-कुशवाह जेडीयू
26 मदन सहनी मल्लाह अतिपिछड़ा जेडीयू
27 सुनील कुमार अनुसूचित जाति चमार जेडीयू
28 रत्नेश सदा मुसहर जेडीयू
29 मो. अफाक आलम मुस्लिम कांग्रेस
30 मुरारी प्रसाद गौतम चमार अनुसूचित जाति कांग्रेस
31 सुमित सिंह राजपूत स्वतंत्र
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कैबिनेट में कुल 31 मंत्री हैं, जिनमें विभिन्न जातियों से मंत्री शामिल हैं। इसमें आठ यादव, पांच मुस्लिम, दो कुशवाहा, दो कुर्मी, दो राजपूत, एक भूमिहार, एक ब्राह्मण, और एक वैश्य मंत्री हैं। अतिपिछड़ों की संख्या चार है, जिसमें तीन हिंदू अतिपिछड़ा और एक धुनिया पसमंदा मुस्लिम शामिल हैं। दलित समुदाय से छह मंत्री मंत्रिमंडल में हैं, जिनमें आरजेडी से दो, जेडीयू से तीन, और कांग्रेस से एक हैं।इस जाति आधारित विभाजन की बातें सुनने के बाद, समाज के विभिन्न वर्गों में चर्चा और बहस हो रही है। यह स्थिति बिहार की सियासी दिशा को प्रभावित कर सकती है और जातिगत समृद्धि के मुद्दों को लेकर और भी गहरा विचार किया जा सकता है।

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