पीएमसीएच में 150 के बदले खपत हुई 348 ऑक्सीजन सिलेंडर

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एचसी में दिए गए रिपोर्ट से हुआ खुलासा
पटना के पीएमसीएच में मरीजो के साथ गजब खेल किए जा रहे है, पटना हाईकोर्ट में गुरुवार को पीएमसीएच में ऑक्सीजन खपत की रिपोर्ट पेश की गई। कोर्ट की ओर से नियुक्त कोर्ट मित्र अधिवक्ता मृगांक मौली ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया है कि पीएमसीएच में 21 अप्रैल से दो मई के बीच 150 सिलेंडर की जरूरत थी जबकि वहां 348 ऑक्सीजेंन सिलेंडर की खपत की गई। कोर्ट मित्र ने हाईकोर्ट से सिफारिश की है कि पीएमसीएच में ऑक्सीजन ऑडिटिंग एक स्वतंत्र निकाय से कराने की जरूरत है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो हाईकोर्ट के आदेश का सही अनुपालन नहीं हो पायेगा।
गुरुवार को हुई सुनवाई में इस रिपोर्ट की जब चर्चा की गई तब मुख्य न्यायधीश की खण्डपीठ ने कहा कि इस पर शुक्रवार को सुनवाई होगी। रिपोर्ट में पीएमसीएच के डॉक्टरों से आंकड़े इकट्ठे कर कोर्ट मित्र ने कुछ सनसनीखेज खुलासा किये हैं। एक दिन के चार्ट के अनुसार वहां कोविड मरीजों की संख्या 127 थी। उनमें नॉर्मल रेस्पिरेटरी वाले 125 मरीज ( रोजाना 1 सिलेंडर ) और 2 मरीज गम्भीर रेस्पिरेटरी ( रोजाना 3 -4 सिलेंडर वाले) थे। यानि 24 घंटे में उन 127 मरीजों को ज्यादा से ज्यादा 150 सिलेंडर की ही जरूरत थी लेकिन चार्ट के मुताबिक उनपर 348 सिलेंडर की खपत की गई।
रिपोर्ट में कहा गया कि किस मरीज पर कितने ऑक्सीजन सिलेंडर की खपत की गयी, इसका कोई रिकार्ड जांच दल के समक्ष पेश नहीं किया गया। दरअसल, न्यायमूर्ति चक्रधारी शरण सिंह तथा न्यायमूर्ति मोहित कुमार शाह की खण्डपीठ ने इस मामले में कोर्ट का सहयोग करने के लिए कोर्ट मित्र को दायित्व सौंपा था। इससे पहले कोर्ट ने अपने पूर्व के आदेश में साफ कहा है कि एनएमसीएच में कोविड के मरीजों की संख्या ज्यादा है लेकिन कोविड मरीजों के लिए ऑक्सीजन की आपूर्ति और खपत पीएमसीएच में ज्यादा कैसे है? ऑक्सीजन सिलेंडर की कालाबाजारी की आशंका जताते हुए कोर्ट ने डॉ उमेश भदानी की तीन सदस्यीय एक्पर्ट कमेटी और इस मामले में नियुक्त हुए कोर्ट मित्र मृगांक मौली से आग्रह किया था कि वे पीएमसीएच का दौरा कर पूरी कोर्ट को सही जानकारी दें। कोर्ट मित्र ने विशेषज्ञ कमेटी के साथ पीएमसीएच का दौरा गत 1 मई को किया। वहां तीन बातें स्पष्ट हुईं। पीएमसीएच में मुख्यतरू डी टाइप ऑक्सीजन सिलेंडर का इस्तेमाल होता है, जिसमें प्रति सिलेंडर 7 हजार क्यूबिक लीटर (7 एमटी ) गैस रहती है। अस्पताल के विभिन्न वार्ड में कोविड सहित अन्य मरीजों जिन्हें ऑक्सीजन की जरूरत थी, उनमें 99 फीसदी नॉर्मल रेस्पिरेशन वाले मरीज थे, जिन्हें खून में नॉर्मल ऑक्सीजन की सेचुरेशन स्तर पाने के लिए 5 लीटरध्मिनट की दर से रोजाना लगभग एक सिलेंडर ऑक्सीजन की जरूरत होती है। वह भी तब जबकि लगातार ऑक्सीजन सिलेंडर से ही सांस लेते रहें। एक फीसदी मरीज ही कोविड के गम्भीर मरीज ऐसे मिले, जिन्हें अपने खून में नार्मल ऑक्सीजन लाने के लिए 15 लीटरध्मिनट ऑक्सीजन की दर से रोजाना 3 सिलेंडर की जरूरत होती है।
अधिकांश सिलेंडरों में कम प्रेशर
वहीं पीएमसीएच के क्रिटिकल वार्ड में 30 अप्रैल को नार्मल रेस्पिरेशन वाले मात्र 13 मरीजों को जहां ऑक्सीजेंन सिलेंडर लगा हुआ था और उनसे बीच-बीच में ऑक्सीजन मास्क हटा भी लिया जाता था। इसलिए अमूमन उन पर एक दिन में जहां 13 सिलेंडर खर्च होने चाहिए थे, वहां 120 सिलेंडरों की खपत दर्शाया गया था। सबसे अचरज वाली बात डॉक्टरों की शिकायत थी कि अधिकांश सिलेंडरों में स्टैंडर्ड प्रेशर (150 के जी स्क्वायर सेंटीमीटर ) से कम ( 120 -130 यूनिट) ही पाया गया था।
मात्रं तीन मरीजो पर 32 सिलेंडर की खपत
प्रसूति रोग वार्ड में मात्र तीन मरीज को ही ऑक्सीजन दिया गया था और उन तीनों की खपत एक दिन में 32 ऑक्सीजन सिलेंडर दर्शायी गयी थी। ईएनटी विभाग में 23 मरीजों पर 63 ऑक्सीजन सिलेंडर की खपत दर्शाई गई थी। टाटा वार्ड में 48 मरीजों के लिए जहां अधिकतम 50 सिलेंडरों की जरूरत थी, वहां एक दिन में 143 सिलेंडर खर्च हो गए। ऑक्सीजन आपूर्ति करने वाले ठेकेदार कम्पनियों की कोई सुचारु व्यवस्था नहीं है। अस्पताल प्रशासन उन ठेकेदारों के मुंशी पर ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए निर्भर रहता है। यहां तक कि प्रेशर स्विच एब्सॉर्बशन प्रणाली से गैस इत्पादन के लिए ऑक्सीजन प्लांट को बंद पाया गया। 2 मई तक उक्त प्लांट से ऑक्सीजन उत्पादन शुरू नहीं हुआ था।
ऑक्सीजन आपूर्ति में दिक्कत क्यों
सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि अगर कोर्ट आज नहीं खड़ा होगा तो भगवान भी माफ नहीं करेंगे। कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से दी गई जानकारी को सही मान आगे कोर्ट बढ़ते चला गया लेकिन हकीकत कुछ और ही निकला। राज्य सरकार ने गत वर्ष 26 नवंबर को कोर्ट को बताया था कि कोरोना महामारी से निपटने के लिए सारी व्यवस्था कर ली गई है। लेकिन आज पता चल रहा है कि सरकारी तैयारी क्या है। कोर्ट ने कहा कि ऑक्सीजन आपूर्ति में दिक्कत क्यों हो रही है।

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