बोले आरजेडी के वरिष्ठ नेता रजनीकांत
राज्य सरकार को बिहार में उच्च शिक्षा में सुधार लाने के लिए पष्चिम बंगाल के तर्ज पर एक नए आडिनेंस लाना चाहिए, अन्यथा बिहार की उच्च शिक्षा व्यवस्था और चौपट हो जाएगी, वैसे तो बिहार के उच्च शिक्षा के अपर मुख्य सचिव के के पाठक ने इसमें सुधार लाने के लिए कई ठोस कदम तो उठाए,लेकिन उनके कार्यो पर राज भवन की एक तुकलगी फरमान ने रोक लगा दी, यह बाते मुजफ्फरपुर में मंगलवार को पत्रकारो से बात करते हुए आरजेडी अधिवक्ता प्रकोष्ठ के प्रदेश महासचिव रजनीकांत यादव ने कहा, इस मामले में सरकार को हस्तक्षेप करनी चाहिए, और गिरते शिक्षा व्यवस्था में सुधार लाने के लिए जल्द कोई ठोस पहल करनी चाहिए, उन्होंने कहा राज भवन के हस्तक्षेप के बाद बिहार के एक वरिष्ठ मंत्री ने भी चिंता जाहिर करते हुए कहा सरकार विवि और कॉलेजो को चलाने के लिए फडिंग देती है तो राज भवन को शिक्षा विभाग के कार्यो में हस्तक्षेप नही करना चाहिए, आखिर दिए गए पैसो का हिसाब कौन लेगा । एक सवाल पर उन्होंने कहा सरकार विवि तथा कॉलेजो को चलाने के लिए करोडो रूपए अनुदान देती है, और बीच में राजभवन ने एक ऐसा आदेश जारी किया है, उससे लगता है कि राज्य के वियवविद्यालयो पर शिक्षा विभाग का कोई नियंत्रण नही है, जारी किए गए आदेश में कहा गया है कि उच्च शिक्षा से आए कोई आदेश को विवि नही माने । ऐसी हालत में क्या बिहार की उच्च शिक्षा व्यवस्था में सुधार हो सकेगा । उन्होंने पत्रकारो के सवाल पर कहा,बिहार में उच्च शिक्षा का हाल बिल्कुल खास्ता हो चुका है, राज्य के अधिकांश अंगीभूत और संबद्व कॉलेजो में लैब नही है, विवि समय पर त्रिस्तरीय स्नातक या अन्य परीक्षाएं नही ले रही है, छात्रो का परीक्षा परिणाम समय पर नही निकाले जाते है, निकलते भी है तो अधिकांश छात्रो का रिजल्ट पेडिंग कर दिया जाता है, इसमें सुधार के लिए छात्रो को विवि दौरते-दौरते पसीने छूट जाता है, कोई शुल्क तय नही होने के कारण छात्रो से कॉलेज परीक्षा फॉर्म भरवाने के दौरान मनमानी शुल्क वसूल ऐंठ लेता है, जिसके खिलाफ कई वार आक्रोशित छात्रो ने विवि का घेराव किया, लेकिन परिणाम कुछ नही निकला, राज्य के संबद्व डिग्री कॉलेजो का हाल तो और बुरा है, कोई कॉलेज में लैब नही है, और प्रयोगिक परीक्षाएं ले ली जाती है, और छात्रो को मनमानी अंक दे दिए जाते है, उन्होंने कहा,राज्य के अधिकांश कॉलेजो में सत्र के अनुसार स्नातक की पढाई और परीक्षाएं आयोजित नही होती है, कई कॉलेज छात्रो के फर्जी आकडे के आधार पर चल रही है । परीक्षा विभाग का हाल यह है कि वहा दो रिटायर्ड कर्मियो से काम लिया जा रहा हे, जो उलट फेर करने में महिर , और सरकारी कॉलेजो के बदले सौदा तय होने पर अधिकांश संबद्व कॉलेजो को पार्ट- वन, टू और थ्री का परीक्षा केंद्र बना दिया जाता है, और विवि को एक केंद्र पर लाखो फूंके जा रहे है, अंगीभूत कॉलेजो को केंद्र बनाया गया होता तो विवि के करोडो बच जाता ।