विवि के अनुकंपा रिकार्ड से छूमंतर हो गए साक्ष्य

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कुलसचिव ने नही दी राजभवन को रिपोर्ट
बीआरए बिहार विश्वविद्यालय में कुछ भी होना संभव है, विश्वविद्यालय में कर्मियो का नियुक्ति रिकार्ड हिफाजत से रखने का दायित्व स्थापना शाखा है, लेकिन उस विभाग से कई कर्मियो के नियुक्ति रिकार्ड में हेराफेरी किए गए है, यह रहस्योद्घाटन कोर्ट और राजभवन द्वारा मांगी एक रिटायर्ड कर्मी उदय नारायण प्रसाद पर रिपोर्ट से हुआ है, हालांकि इस मामले में दो वरीय अधिवक्ताओ के नोटिस के बाद कुलसचिव ने विवि के विधि शाखा के अधिकारियों को कार्रवाई करने का आदेश तो दिए, लेकिन दो महीने हो गए, अभी तक विवि की ओर से दोनो अधिवक्ताओ को कोई जबाब नही भेजा गया, हलात अब न्यायालय तक पहुंच गए है, सेवा निवृत एक कर्मी को बचाने के चक्कर में कई के गले फंसने वाले है, हालांकि इस मामले में राजभवन ने वरीय अधिवक्ता रजनीकांत के आवेदन पर संज्ञान लेते हुए विवि के कुलपति को कार्रवाई के लिए लिखा है, साथ ही राजभवन ने की गई कार्रवाई से राजभवन और आवेदक को भी सूचित करने को कहा है। इसके पहले इस मामले में राज्य के उच्च शिक्षा निदेशक ने भी कुलसचिव को इस मामले में कार्रवाई करने का आदेश तो दिया, लेकिन उच्च शिक्षा निदेशक का यह आदेश भी विधि विभाग के संचिकाओ में कैद होकर रह गए। फिलहाल मामला हाईकोर्ट के अधिवक्ता के पास पहुंच चुका है, और वरीय अधिवक्ता आखौरी विवेक रंजन सहाय ने बताया कि इस मामले में कुलपति, कुलसचिव, विधि विभाग के अधिकारियों तथा अन्य कर्मियो को कोर्ट में पार्टी बनाया जाएगा।
20 हजार छात्रो का भविष्य दांव पर
बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के परीक्षा विभाग का हाल और बदतर हो गई, विभाग की दशा सुधरने के लिए वैसे सेवानिवृतो की सेवा विभाग में ले ली गई, जो दागी रहे है, इनके आने के बाद 20 हजार से ज्यादा छात्रो का भविष्य दांव पर लग गए है, हालांकि इन कर्मियो के लाने के पीछे परीक्षा नियंत्रक ने जो तर्क दिए है, उसका खुलासा पेडिंग पड़े रिजल्ट से हो जाता है, राज्य सरकार ने सेवा निवृतो के अवधि विस्तार के लिए कुछ मापदंड तय किए है, लेकिन परीक्षा नियंत्रक ने सारे मापदंडो को तोड़ते हुए एक सेवा निवृत कर्मी को दुबार विस्तार कर दिए, जबकि उक्त कर्मी के खिलाफ विवि थाना में कागज घोटाले में एफआईआर हो चुका है, पूर्व कुलपति ने उसे निलम्बित भी किए थे, विवि के कुछ कर्मियो का कहना है कि परीक्षा नियंत्रक ने उस कर्मी कई महत्वपूर्ण फाईले दे दी है, जो उन्हें नही देना चाहिए था, परीक्षा नियंत्रक के इस हरकत पर सवाल उठाते हुए विवि के कुछ कर्मियो और छात्रो ने कहा, अखिर परीक्षा नियंत्रक दागियो को फिर दुबरा मौका क्यो दिया, इससे जाहिर होता है कि दाल में कुछ काला है।
कुलसचिव इन सवालो को टाल गए
सरकार ने विवि के कुलसचिव को काफी अधिकार दिए है, लेकिन कुलसचिव से इन सवालो पर जबाब मांगा तो कुछ बोलने से इंकार कर गए, और कहा कि यह मामला उनके अधिकार में नही है, इसपर बेहतर जबाब परीक्षा नियंत्रक दे सकते है, वहा के कर्मियो ने कहा, ला एंड आॅर्डर कुलसचिव के अधीन होता है, किसी कर्मी को विभाग से हटाना और रखने का अधिकार कुलसचिव के पास होता है, किसी सेवानिवृतो का अवधि विस्तार कुलचचिव के सहमति के बाद ही होता है, उन्हें इस मामले का संज्ञान लेना चाहिए।

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