बिहार में आदमखोर बाघ को मारने का आदेश                                                           

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शूटर पहुंचे गोवर्द्धना के डुमरी में

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बेतिया,  लाख कोशिशो के बाद नहीं पकडे गए आदमखोर बाघ, वीटीआर क्षेत्र में बाघ  के आतंक से ग्रामीणो का रातो का नींद हराम हो गए हुए है, बीते 24 दिनों से चिउटाहां एवं गोवर्द्धना वन क्षेत्र के समीप ग्रामीण इलाके में छह लोगों की जान लेने वाले नरभक्षी बाघ को मारने की अनुमति आखिरकार मिल गई। फिलवक्त बाघ को मारने के लिए रामनगर प्रखंड के डुमरी गांव के समीप वीटीआर प्रशासन के अधिकारी एवं बगहा पुलिस लाइन के दो एक्सपर्ट निशानेबाज पहुंचे हुए हैं। वीटीआर के क्षेत्र निदेशक डां. नेशामणि के ने बताया कि राज्य सरकार ने बाघ को मारने की अनुमति दे दी है। इसकी तैयारी की जा रही है। 500 वनकर्मियों की टीम डुमरी गांव के समीप पहुंची है। ड्रोन कैमरा से बाघ का लोकेशन देखा जा रहा है। बाघ को देखते ही गोली मारने का आदेश दिया गया है, सेवानिवृत वन अधिकारी हेमकांत राय का कहना है कि ऐसा माना जाता है कि केवल वृद्ध एवं घायल बाघ ही आदमखोर हो जाते हैं। क्योंकि वे जानवरों का शिकार करने लायक नहीं होते है, इसलिए गांवों के समीप आ जाते हैं और आसानी से इंसानों का शिकार व पालतु पशुओं का शिकार की चाहत रखते है, कभी-कभी कभी युवा बाघों के भी आदमखोर होने के मामले सामने आए हैं। ऐसा तब होता है , जब बचपन में बाघ की मां उससे बिछड़ जाती है। शिकार का बेहतर प्रशिक्षण नहीं मिल पाता है या फिर कोई शारीरिक दिक्कत उसके साथ होती है। कई बार टेरोटरी वार में भी बाघ जख्मी हो जाता है तो वह आश्रणी से निकलकर गांवों के समीप पहुंच जाता। इंसानों, बच्चों एवं मवेशियों का शिकार करने लगता है। इस मामले में भी जैसा कहा जा रहा है कि बाघ के शरीर पर जख्म के निशान हैं। संभव है कि टेरोटरी वार में वह जख्मी हुआ होगा। इस वजह से लगातार इंसानों का शिकार कर रहा है। वाइल्ड लाइफ एक्ट 1972 की धारा 11 में वैसा जानवर जो इंसानों के लिए खतरनाक हो जाए। ग्रामीण इलाकों में लगातार आता रहे और इंसानों की जान लेता रहे। उसे नरभक्षी घोषित कर शिकार करने की अनुमति दी जाती है।

पीके गुप्‍ता ने  दी शिकार की अनुमति

बिहार चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन पीके गुप्ता ने करीब साढ़े तीन वर्ष की अवस्था वाले इस नरभक्षी बाघ को मारने की अनुमति दी है। इसके लिए वीटीआर के क्षेत्र निदेशक ने बीते 12 सितंबर से लेकर अब तक छह लोगों को मारने की घटना का जिक्र करते हुए आग्रह किया था। बाघ का रेस्क्यू करने के लिए एक सप्ताह तक चलाए गए अभियान, नेशनल वन प्राणी शूटर हैदरबाद के नवाब शफात अली खान के नेतृत्व में पटना से आई एक्सपर्ट की टीम की कोशिश के बाद बाघ को पकड़ पाने में हुई विफलता से संबंधित प्रतिवेदन भेजा था। तमाम कोशिश के बाद बाघ के जंगल में प्रवेश नहीं करने का हवाला देते हुए मारने की अनुमति मांगी थी। चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन ने अनुमति दे दी है। हालांकि जानकार बताते हैं कि बाघ को नरभक्षी घोषित करने के बाद मारने के फैसले को राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) को भी अवगत कराया जाता है। एनटीसीए से हरी झंडी मिलने के बाद हीं बाघ को मरने की अनुमति दी जाती है।

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