बदले गए कर्मी फिर लौट आए परीक्षा में

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कुलाधिपति गए, बदल गए आदेश
बीआरए बिहार में लोकतंत्र के बदले चल रहा राजतंत्र। पूर्व गवर्नर सह कुलाधिपति लालजी टंडन विश्वविद्यालय के शैक्षणिक व्यवस्था में सुधार के लिए कई कदम उठाए, कुलपति अमरेन्द्र यादव और परीक्षा नियंत्रक को हटाया, कुलाधिपति के आदेश से वहा के भ्रष्ट कर्मी बदले गए, लेकिन उनके जाते कुलसचिव ने परीक्षा विभाग से हटाए गए सभी कर्मियो को पुन वही भेज दिया, जहा से हटाए गए थे, हालांकि तर्क तो यह दिए कि परीक्षा विभाग के कार्यो को पटरी पर लाने के लिए यह होना जरुरी है, लेकिन विभाग के सारे कार्य और बेपटरी हो गए, अभी तक पार्ट वन, टू और थ््राी का परिणाम घोषित नही किए, और तो और स्नातक में नामांकन नही होने से तीन लाख से अधिक बच्चो का भविष्य दांव पर लग गए है, ये छात्र अभी तक स्नातक में नामांकन नही लिए है, इसके लिए विवि के परीक्षा विभाग ने कई वार तिथियां निकाली, लेकिन कुछ नही हुआ। विवि ने सत्र 2018-19 के प्रवेश परीक्षा के लिए दो कमेटिया भी बनाई, लेकिन दोनो कमेटियो में तालमेल नही होने कारण अभी तक नामांकन प्रक्रिया शुरु नही किए गए। दोनो कमेटियो का एक भी बैठक नही हुए। यह भी तय नही हो सका कि नामांकन आॅन लाइन या आॅफ लाईन लिए जाए। स्नातक के एक छात्र सुधीर कुमार ने बताया कि नियत एक जुलाई से कक्षा शुरु हो जाना चाहिए, लेकिन विवि के परीक्षा विभाग का हाल यह है कि अभी तक नामांकन के लिए कुछ तय नही किया है। छात्र ने बताया कि इसके लिए कई वार विभाग में गए, लेकिन वहा के कर्मियो ने यह कहते लौटा दिया कि अभी इंतज़ार किजिए।

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सूचना अफसर ने खेले एक तीर से दो खेल
तीन सालो से नही दी गई सूचना
बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के लोक सूचना अधिकारी एक को बचाने के लिए लिखते बख्त कुछ सोचा भी नही और एक तीर से खेल गए दो खेल। आवेदक ने कुलपति को दिनांक 6 मार्च 19 को एक शिकायत पत्र दिया, सूचना अफसर ने उस आवेदन के आलोक में कार्रवाई करने के बदले को डाक से सूचना दे दी कि पत्रांक 9/0285 दिनांक 29-4-19 में कि शुल्क भुगतान का कोई साक्ष्य नही है, इसलिए आगे की कार्रवाई नही हो सकती है, यहा सवाल उठता है कि शुल्क अदा नही किए गए तो अपीलीय प्राधिकार सह कुलपति ने आदेश कैसे पारित किए, सुनवाई के बाद अपीलीय प्राधिकार सह कुलपति ने दिनांक 16-10-17 को वाद संख्या 513 कुलसचिव को आदेश दिए कि आवेदक को सभी सूचनाएं प्रपत्र क में 15 कार्य दिवसों के अंदर उपलब्ध करा दे, लेकिन तीन साल से अधिक हो गए, आवेदक को विश्वविद्यालय अधिकारियों ने अभी तक कोई सूचनाए नही दी है। कुलसचिव के हस्तक्षेप के बाद सूचना अधिकारी ने फिर फाइल डीआर टू को भेजी है, लेकिन अभी तक वहा से कुछ नही किया गया है, हालांकि इस संदर्भ में पूछने पर सूचना अधिकारी ने बताया कि इसके पहले भी एक बार डीआर टू कांे संचिका भेजी गयी थी, लेकिन वहा के लिपिक ने लिखा था कि कर्मी अनुकंपा पे कार्यरत तो है, लेकिन पुरानी मामले होने के कारण सूचना नही दी जा सकती है, एक अन्य सवाल पर आरटीआई अफसर ने कहा, आरटीआई अधिनियम में कई प्रावधान दिए गए है, कर्मी कार्यरत है तो नियतम उसके बारे में सूचना देने का प्रावधान है।

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