तो गोल हो गए अनुकंपा नियुक्ति के सारे साक्ष्य

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brabu

खास बाते:-
कुलसचिव ने भी नोटिस का नही दिए जबाब
उच्च शिक्षा निदेशक ने मांगी रिपोर्ट
दो वरीय अधिवक्ताओ के नोटिस के बाद बिहार विश्वविद्यालय में एक कर्मी की अनुकंपा नियुक्ति के सारे रिकार्ड से साक्ष्य नष्ट कर दिए जाने का सनसनी खेज मामला उजागर हुआ है, वरीय अधिवक्ता रजनीकांत ने कुलसचिव को 5 बिन्दुओ पर जबाब देने के लिए 20 जनवरी को लिखा, लेकिन अभी तक जबाब नही दिए गए, श्री उदय नारायण प्रसाद की नियुक्ति 1984 में विश्वविद्यालय अनुकंपा पर तो हुई, लेकिन उनके नियुक्ति रिकार्ड से से स्थापना और विधि विभाग ने सारे साक्ष्य नष्ट कर दिया है, यह कोई गल्प बाते नही बल्कि एक भयानक सच्चाई है, और तो और सीतामढ़ी के एक न्यायलय में भी फर्जी रिपोर्ट भेज दिए है, जिसमें कहा गया है कि परिवार द्वारा दिए गए अनापति पत्र रिकार्ड में नही है, यहा गंभीर सवाल उठता है कि श्री प्रसाद ने हाईकोर्ट और सीतामढ़ी के सबजज न्यायलय में दिए गए अपने बयान में यह कबूल किया है कि उनकी नियुक्ति अनुकंपा पे हुई है तो विवि के विधि विभाग ने यह कैसे लिख दिया कि कोई साक्ष्य नही है। राज्य के उच्च शिक्षा निदेशक ने भी प्रधानमंत्री के निर्देश के आलोक में इस मामले की जांच का आदेश कुलसचिव को दिया गया है, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नही की गई है, इस मामले में एक और वरीय अधिवक्ता ृअखौरी विवेक रंजन सहाय ने 28 दिसम्बर को कुलसचिव और कुलपति को वकालतन नोटिस दिया था, लेकिन उन्हें अभी तक जबाब का इंतजार है, दोनो अधिवक्ता दोनो अधिकारियों के खिलाफ जल्द न्यायलय में मुकदमा दायर करेंगे। वरीय अधिवक्ता रजनीकांत ने बताया कि अनुकंपा के नौकरी के लिए मां ने जो आवेदन दिए है, वह भी रिकार्ड से गायब है, न जाने इतना सब कुछ जानते हुए भी विवि के विधि और स्थपना विभाग के कर्मियो ने यह कैसे लिख दिया कि रिकार्ड में अनुकंपा नियुक्ति के कोई साक्ष्य नही है, कुलसचिव को दिए गए वकालतन नोटिस में 5 बिन्दुओ पर जबाब मांगा गया है, लेकिन 15 दिन बित गए, जबाब नही भेजा गया है। एक सवाल पर अधिवक्ता ने कहा, जब रिकार्ड में परिवारिक अनापति पत्र नही है तो श्री प्रसाद इतने सालो तक नौकरी कैसे कर लिए, इसका जबाब तो विश्वविद्यालय के अधिकारियों को कोर्ट में देना होगा।

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