स्कूल के मास्टरो का हश्र भी बुरा
सरकार बाहर से आए श्रमिको के रोजगार के लिए तो सोच रही है, लेकिन सरकार जिन्हे वेतन नही देती, उन्हें कोरोना संकट के दौरान न जाने क्यो यूं ही छोड़ दिया, है, कोरोना से बचने के लिए निजी स्कूल बंद कर दिए गए है, लेकिन सरकार इन स्कूलो के बदहाल शिक्षको पर कुछ नही सोचा जिनका वेतन तीन से चार हजार है, ज्यादातर निजी स्कूल के प्रबंधको ने शिक्षको कोरोना संकट में खाने के लिए कुछ पैसा नही दिए, और तो और सरकार ने राज्य में संबद्व डिग्री काॅलेजो को मान्यता तो दी है, लेकिन इन काॅलेज के कर्मियो को वेतन के नाम पर कुछ नही देती है, सरकार ने इन काॅलेजो को 2009 में छात्रो पर अधारित अनुदान देनी की घोषणा तो कर दी है, सदन में सदस्यो के उठाए सवाल पर शिक्षा मंत्री ने मार्च महीने के अंत तक काॅलेजो को बकाए आठ सालो का अनुदान तो भेजने की घोषणा कर दी, लेकिन इस कोरोना काल में संबद्व डिग्री काॅलेज के शिक्षक अनुदान आने की वाट जोहते रह गए, अनुदान और वेतन निर्धारण की मांग को लेकर संबद्व डिग्री काॅलेज के शिक्षको ने मंत्री से लेकर सांसद आौर एमएलए का घेराव किए, लेकिन सिर्फ आश्वासन मिले। संध के नेता संत ज्ञानेश्वर ने बताया कि सरकार के शिक्षक विरोधी रवैये के खिलाफ संध पटना में बहुत जल्द आमररण अनशन शुरु करेगी।
कोरोना में भी कुछ नही मिले वित रहितो को
INAD1