बिहार की पहली और देश की दूसरी बड़ी कोसी-मेची नदी जोड़ योजना पर केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय ने भी मुहर लगा दी है। मंत्रालय ने इसके निवेश प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। साथ ही, इस योजना के सभी अवयवों को उपयुक्त माना है। अब राज्य सरकार का प्रयास है कि केंद्र इसे राष्ट्रीय योजना घोषित करे। ऐसा होने से 4900 करोड़ रुपये की इस परियोजना का 90 प्रतिशत खर्च केंद्र उठाएगा। बाकी 10 प्रतिशत ही राज्य सरकार को देना होगा। जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा ने बुधवार को विधान परिषद में यह जानकारी जल संसाधन विभाग के बजट पर चर्चा के दौरान सरकार का पक्ष रखते हुए दी। जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा ने बुधवार को विधान परिषद में यह जानकारी जल संसाधन विभाग के बजट पर चर्चा के दौरान सरकार का पक्ष रखते हुए दी।उन्होंने कहा कि दिसंबर 2020 में हुई बैठक में ही बिहार सरकार ने यह प्रस्ताव केंद्र के सामने रख दिया है। कहा कि केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से योजना को पहले ही हरी झंडी मिल चुकी है। कोसी-मेची नदी जोड़ योजना देश की दूसरी बड़ी योजना है। पहली मध्य प्रदेश की केन-बेतवा नदी जोड़ योजना है। जल संसाधन मंत्री ने कहा कि कोसी-मेची योजना से राज्य में दो लाख 14 हजार 882 हेक्टेयर में सिंचाई की व्यवस्था हो सकेगी। योजना में 76.20 किमी लंबी नहर बनाकर कोसी के अतिरिक्त पानी को महानंदा बेसिन में ले जाया जाएगा। मौजूदा आकलन के अनुसार इस पर चार हजार नौ सौ करोड़ रुपये खर्च होंगे। इससे चार जिलों को लाभ होगा। सबसे अधिक लाभ अररिया और पूर्णिया जिले को होगा। इन दोनों जिलों की क्रमशरू 59 हजार 642 और 59 हजार 970 हेक्टेयर जमीन की सिंचाई होगी। इसके अलावा किशनगंज जिले में 39 हजार 548 और कटिहार जिले में 35 हजार 635 हेक्टेयर जमीन की सिंचाई हो सकेगी। इससे कोसी और सीमांचल इलाके को बाढ़ से होने वाली परेशानी भी कम होगी।
केंद्र ने दी कोसी-मेची जोड़ योजना की मंजूरी
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