सीएम जब उन्हें बिहारी राष्ट्रपति कहे तो वे गदगद हो गए

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शदाब्‍दी समारोह में बोले रहे थे राष्ट्रपति कोबिंद

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बिहार से विशेष लगाव रखने वाले राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जब उन्हें ‘बिहारी राष्ट्रपति’ कह रहे थे तब वह हृदय से गदगद महसूस कर रहे थे। कोविद ने गुरुवार को बिहार विधानसभा भवन के शताब्दी वर्ष समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित किया और कहा कि जब मुझे मुख्यमंत्री जी बिहारी राष्ट्रपति के रूप मे संबोधित कर हरे थे तब मैं हृदय से गदगद महसूस कर रहा था। ऐसा इसलिए, क्योंकि इस देश के प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र बाबू की यह धरती है और प्रदेश के राज्यपाल रहे डॉ. जाकिर हुसैन भी बाद में देश के राष्ट्रपति बने। उन्होंने जो विरासत छोड़ी है उसे आगे बढ़ाने का दायत्वि मुझे मिला है। सचमुच जब मैं बिहार आता हूं तो मुझे लगता है कि मैं अपने घर में आया हूं। राष्ट्रपति ने कहा कि कभी कभी उनके सचिवालय में लोग यह सवाल कर देते हैं कि बिहार सरकार का निमंत्रण हो तो आप कभी टालमटोल नहीं करते, इस पर मैं कहता हूं बिहार से मेरा नाता केवल राज्यपाल के तौर पर ही नहीं रहा है बल्कि कुछ और भी नाता है। उसी नाते को मैं कभी-कभी ढूंढता रहता हूं और कभी-कभी उसकी चर्चा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कर देते हैं। उन्होंने कहा कि भगवान बुद्ध को इस धरती पर ज्ञान की प्राप्ति हुई और उन्होंने सबको एक पद्धति विपस्यना दी है। बुद्ध स्मृति पार्क में विपस्यना केंद्र के नर्मिाण में उनका भी कुछ योगदान रहा और उसे मुख्यमंत्री ने आगे बढ़ाया। इसके लिए वह उन्हें हृदय से धन्यवाद देते हैं। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस समारोह में अपने संबोधन में कहा कि राष्ट्रपति श्री कोविंद का बिहार से खास रश्तिा रहा है। वह दो वर्ष तक बिहार के राज्यपाल रहे और राज्यपाल रहते हुए सीधे राष्ट्रपति बने। उन्हें वह बिहारी भी कहते हैं। श्री कोविंद से उनका संबंध बहुत ही मधुर है। इस कारण वह अक्सर कहते हैं असली बिहारी आप ही हैं। सूरज शिवा वार्ता

राष्‍टपति का विस में भव्‍य स्‍वगत

बिहार विधानसभा भवन के एक सौ वर्ष पूरे हो गए हैं। इस मौके पर आयोजित समारोह में राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद भी शामिल हो रहे हैं। समारोह को लेकर विधानसभा के सदस्‍यों में खासा उत्‍साह देखा जा रहा है।  समारोह की शुरुआत विधानसभा अध्‍यक्ष विजय कुमार सिन्‍हा के स्‍वागत भाषण से हुई। विधानसभा अध्‍यक्ष ने कार्यक्रम में राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद, राज्‍यपाल फागू चौहान, मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार सहित अन्‍य अतिथियों का स्‍वागत करते हुए बिहार विधानसभा के गौरवशाली इतिहास पर विस्‍तार से प्रकाश डाला। उन्‍होंने कहा कि बिहार विधानसभा ने कई उतार चढ़ाव देखे हैं। हम सभी को नए भारत के निर्माण के लिए आगे बढ़ना है। आइए जानते हैं बिहार विधानसभा के 100 साल के गौरवशाली इतिहास के बारे में कुछ खास बातें-  

-बिहार विधानसभा भवन में पहली बैठक सात फरवरी 1921 को हुई थी। वर्तमान में 17 वीं विधानसभा का कार्यकाल चल रहा है। आजादी के पहले और बाद में यह भवन कई राजनीतिक बदलावों और उलटफेरों का गवाह बन चुका है। भवन ने कई मुख्‍यमंत्रियों और विधानसभा अध्‍यक्षों का कार्यकाल भी देखा है। 

-वक्‍त के साथ विधानसभा भवन में भी कई बदलाव किए गए हैं लेकिन इसकी मूल संरचना के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की गई। विधानसभा का यह भवन 1920 के मार्च महीने में बनकर तैयार हुआ था। 

-सात फरवरी 1921 को हुई पहली बैठक में लॉर्ड सत्येंद्र प्रसाद सिन्हा ने गवर्नर के तौर पर शिरकत की थी। अंग्रेजों के समय में यह भवन बिहार उड़ीसा विधान परिषद के नाम से जाना जाता था। 

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