नेता प्रतिपक्ष ने पुलिस पिटाई का मामला
दूसरे दिन भी बिहार विधानसभा के मानसून सत्र हंगामे की भेंट चढ गए, प्रश्नकाल तो ठीक से चला, लेकिन शून्य काल शुरू होते ही सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्य आमने-सामने हो गए। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने जैसे ही बीते 23 मार्च के दिन विधानसभा में विपक्ष के विधायकों की पुलिस पिटाई की घटना पर सरकार को घेरा, सत्ता पक्ष के सदस्य विरोध करने लगे। इसके बाद जबरदस्त हंगामा खड़ा हो गया। विधानसभा अध्यक्ष ने स्थिति को देखते हुए तेजस्वी यादव समेत सभी को बैठने को कहा, फिर तेजस्वी को दो मिनट में पूरी बात रखने को कहा। इसके बाद पूरा विपक्ष सदन से बाहर चला गया। इसके पहले विधानसभा अध्यक्ष विजय चौधरी ने सदन में कहा कि जो कुछ भी हुआ था, उसपर उन्हें निर्णय लेना है, इसमें सरकार कहीं नहीं है
विधायकों की पिटाई पर चर्चा की नहीं मिली अनुमति
सदन के बाहर तेजस्वी यादव ने मीडिया से कहा कि सोमवार काे विपक्ष ने विधानसभा अध्यक्ष से आग्रह किया था कि बीते 23 मार्च के काले दिन विधानसभा में विधायकों की पिटाई के मामले पर सदन में चर्चा होनी चाहिए। इसका आग्रह लिखित में भी दिया। इसके बाद मंगलवार को आज जब यह प्रस्ताव रखना चाहा, तब रोक दिया गया। विधानसभा अध्यक्ष ने अनौपचारिक तौर पर अपनी बात रखने को तो कहा, लेकिन चर्चा की अनुमति नहीं दी। इतने बड़े मुद्दे पर नेता प्रतिपक्ष की बात नहीं मानी गई। अनौपचारिक तौर पर अपनी बात रखने का कोई मतलब नहीं था।
पूछा: क्या सिपाहियों ने अपने मन से की थी पिटाई?
तेजस्वी ने कहा कि लोकतंत्र के मंदिर में विधायकों की पिटाई होती है और चार महीने बाद केवल दो सिपाहियों को निलंबित कर दिया जाता है। क्या सिपाहियों ने अपने मन से विधायकों की विधानसभा में पिटाई की थी? फिर तो कल किसी पुलिस वाले द्वारा किसी विधायक को गोली मार देने पर भी दो सिपाहियों को निलंबित कर दिया जाएगा?
जातीय जनगणना को लेकर की कमेटी बनाने की मांग
तेजस्वी यादव ने कहा कि जातीय जनगणना की मांग को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने खारिज कर दिया है। इस मामले में मुख्यमंत्री के नेतृत्व में विधान सभा की कमेटी बनाई जानी चाहिए, जो प्रधानमंत्री से जाकर मिले।
सत्ता पक्ष के विधायको को धर्य नही खोना चाहिए
बोले आरजेडी के वरिष्ठ नेता रजनीकांत
आरजेडी के वरिष्ठ नेता सह वरीय अधिवक्ता रजनीकांत यादव ने मंगलवार को पत्रकारो से बात करते हुए कहा, विपक्ष को सदन में कोई सवाल करने का अधिकार होता है, सत्ता पक्ष के विधायको को विपक्ष की बात धर्य से सुनना चाहिए, बिहार में हाल के दिनो में अपराध काफ बढे है, विपक्ष अगर यह सवाल सदन में उठाए तो उन्हें रोकना नही चाहिए, सदन एक ऐसा मंच होता है जहा समस्याए रखी जाती है,