शिक्षा मंत्री के बैठक में उठे सवाल
शिक्षा विभाग ने राज्य के 13 परंपरागत विश्वविद्यालयों को 12 करोड़ तो दे दिया, लेकिन सरकार के रिकार्ड में खर्चे का हिसाब गोल है, उच्च शिक्षा निदेशालय को विगत कई वर्षों में जारी की गयी अनुदान तथा विभिन्न विकासात्मक मद की राशि में से 1200 करोड़ विश्वविद्यालयों ने कहां और कैसे खर्च किए, इसका ब्योरा अभी तक नही दिया है, इसको लेकर विश्वविद्यालयों को बार-बार विभाग की ओर से पत्र भेजा गया, लेकिन उनकी सुस्ती को देखते हुए अब विभाग गंभीर है। सोमवार से विश्वविद्यालयवार होने वाली समीक्षा बैठक में लंबित उपयोगिता प्रमाण पत्र का मामला उठेगा। विश्वविद्यालयों को यह जमा भी करना होगा।
गौरतलब हो कि शिक्षा मंत्री डॉ. अशोक चैधरी की अध्यक्षता में 23 दिसम्बर को उच्च शिक्षा को लेकर हुई समीक्षा बैठक में भी यह मसला उठा था। बैठक में ज्यादातर विश्वविद्यालयों के कुलपतियों ने भी शिरकत की थी। तब कुलपतियों ने खर्च की गयी राशि का उपयोगिता प्रमाण पत्र देने के लिए दो माह का समय लिया था। कहा था कि इस अवधि के अंदर वे पाई-पाई का हिसाब उच्च शिक्षा निदेशालय को भेज देंगे। कुलपतियों के आश्वासन का असर भी हुआ। पहली बार करीब 600 करोड़, जबकि उसके बाद भी 300 से 400 करोड़ खर्च का ब्योरा विश्वविद्यालयों ने शिक्षा विभाग को भेजा। इस एक हजार करोड़ का हिसाब मिलने के बाद भी करीब 1200 करोड़ रुपए का उपयोगिता प्रमाण पत्र अब भी विश्वविद्यालयों पर बाकी है।