छात्र उनसे मिले रोज लौट रहे वापस
ऐसा लगता है बीआरए बिहार विश्वविधालय की हालत कभी नहीं सुधरने वाली है, सुधरे भी कैसे, जो भी उस कुर्सी पर आते है, उनकी पहुंच हाईलेवल तक होती है, बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के वर्तमान कुलपति डॉ हनुमान पांडे तिलका मांझी विश्वविद्यालय भागलपुर के भी प्रभार में हैं, लेकिन वहां भी उनकी उपस्थिति न के बराबर है.और बीआरए बिहार विश्वविधालय में होते हुए भी घर से बाहर नहीं आ रहे है, अगर किसी छात्र को वाइस चांसलर से मिलना हो तो उन्हें वापस लौटना पड़ता है. पहले तो कहा जाता था कि वो आवास पर मिलेंगे, लेकिन अब आवास पर भी एंट्री नहीं दी जाती है. प्रो. हनुमान प्रसाद पांडे ने 12 मार्च 2020 को कुलपति पद पर योगदान दिया था. प्रभार लेने के बाद लगातार तीन दिनों तक वह कार्यालय तो आए, लेकिन इसके बाद कोरोना को लेकर लॉकडाउन लग गया और विश्वविद्यालय बंद हो गया. इसके बाद से वह विश्वविद्यालय नहीं आ रहे हैं. बीच में एक दिन के लिए एक दिन कार्यालय आए थे. प्रो हनुमान प्रसाद पांडे को तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय का भी प्रभार दिया गया है. दफ्तर में कुलपति के नहीं बैठने को लेकर अब कई तरह के सवाल उठने लगे हैं. छात्र संगठनों ने भी इस पर विरोध शुरू कर दिया है. छात्र नेता चंदन यादव ने आरोप लगाया कि वो बिमारी का बहाना करके रूम से बाहर नहीं निकलते, छात्रों से जुड़े फाइलों पर साइन नहीं करते, लेकिन अन्य फंडिग से जुड़े कार्यों पर तुरंत साइन करते हैं. वहीं वैशाली से आये छात्र विशाल बताते हैं कि वो इतनी दूर से आते है, लेकिन उनका काम नहीं हो पाता.