वित रहित नीति बिहार के शिक्षा व्यवस्था के माथे पर कलंक

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एमएलसी संजय कुमार सिंह ने लिखा शिक्षा मंत्री को

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बिहार के विधान पाषर्द डा0 संजय कुमार सिंह ने बिहार के शिक्षा मंत्री को भेजे पत्र में कहा, बिहार के शिक्षा व्‍यवस्‍था में सर्वश्रेष्‍ठ योगदान देने वाले वित रहित माध्‍यमिक, इंटर और डिग्री कॉलेजो के शिक्षक व शिक्षकेतरकर्मियो को भयावह वैश्‍विक –माहमारी के दौर में भी सरकार ने नजरअंदज करते हुए अनुदान नही दिया, जो बिहार के शिक्षा व्‍यवस्‍था के माथे पर एक भयानक कलंक है, उन्‍होंने लिखे गए पत्र में कहा, वित रहित नीति को नीतीश कुमार की सरकार ने जिसके आप भी मजबूत स्‍तंभ थे, सन 2008 में वित सहित कर उस कलंक को मिटाने का प्रयास तो किए, लेकिन 2008 में नियमित वेतन के बदले छात्रो के आधार पर अनुदान दिया जाना लगा, नतीजतन इन संस्‍थानो को कभी समय पर –अनुदान नही मिला, दूर्भाग्‍यवश सरकार ने जो संकल्‍प दिया, उसके आलोक में अनुदान निर्गत करने के लिए अत्‍यंत जटिल प्रक्रिया का प्रावधान किया गया है, जिसके वजह से 8 वर्षो से अनुदान लंबित है, ऐसी भयावह काल में जिन्‍हे अनुदान नही मिला, उनके परिवार का भरण-पोषण कैसे होता होगा, उन्‍होंने लिखे गए पत्र में कहा, अप्रैल 2021 में राज्‍य कैबिनेट ने माध्‍यमिक और इंटर शिक्षण संस्‍थाओ के अनुदान के लिए 842 करोड् की राशि मंजूर की गयी, यह सूचना आपने सदन में दी, लेकिन इस राशि में से मात्र 235 करोड् बिहार विधालय परीक्षा समिति को दिया गया, वह भी सशर्त, जो शर्त दिए गए उसमें भी कई पेंच लगा दिए गए, शर्त में का गया इस राशि द्वरा सत्र 2015-17 के अनुदान का भुगतान दिया जाए, यहा स्‍पष्‍ट करना लाजमि होगा कि इस राशि में से इंटर शिक्षण संस्‍थानो को अनुदान नही मिल पाएगा, क्‍योंकि सत्र 2014-16 में जांचोपरांत ही अनुदान देने का सरकार का निर्णय वापस नही लिया जा सका, जिसे वापस लेना आवश्‍यक है, उन्‍होंने पत्र में सरकार से मान्‍यता प्राप्‍त डिग्री कॉलेजो के बारे में लिखते हुए कहा, 2020 में इन कॉलेजो के लिए दितीय अनुपूरक बजट में लगभग एक हजार करोड् बजटीए उपबंध किया गया, लेकिन विभाग की उदाशीनता की वजह से यह राशि कॉलेजो को विमुक्‍त न‍ही किए गए, जो शर्म की बात है,   

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