शोषित समाज दल के नेता और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री सतीश प्रसाद सिंह (87 वर्ष) का सोमवार को दिल्ली में निधन हो गया। सतीश प्रसाद सिंह के नाम बिहार में सबसे कम समय तक मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड है। वे महज पांच दिन के लिए (1968) मुख्यमंत्री बने थे। 1967 में हुए चैथे विधानसभा चुनाव में कांग्रेस बहुमत हासिल नहीं कर सकी। इसके कारण बिहार में पहली गैर-कांग्रेसी सरकार बनी। तब जनक्रांति दल में रहे महामाया प्रसाद सिन्हा को पहला गैर-कांग्रेसी मुख्यमंत्री बनाया गया, मगर 330 दिनों तक सत्ता संभालने के बाद उन्हें भी कुर्सी छोड़नी पड़ी। फिर इसके बाद सतीश बाबू सीएम बनाए गए, लेकिन उन्हें 5 दिनो के बाद हटाना पड़ गया। बाद में बीपी मंडल को मुख्यमंत्री की शपथ दिलाई गई मगर वे भी महज 31 दिन ही सीएम की कुर्सी संभाल सके। परबत्ता विधान सभा से पहली बार विधायक बनने वाले सतीश प्रसाद सिंह पहली बार ही मुख्यमंत्री बने और उसके बाद विधान सभा का चुनाव कभी नहीं जीता। उनकी पुत्री सुचित्रा सिंहा समाजवादी नेता स्व जगदेव प्रसाद की पुत्रवधु और पूर्व केन्द्रीय मंत्री नागमणि की पत्नी है।
राज्यपाल ने सतीश बाबू के निधन पर शोक जताया
राज्यपाल फागू चैहान ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री सतीश प्रसाद सिंह के निधन पर अपनी गहरी शोक-संवेदना व्यक्त की है। राज्यपाल ने अपने शोक संदेश में कहा है कि सतीश बाबू एक लोकप्रिय राजनेता एवं संवेदनशील समाजसेवी थे। उनके निधन से राजनीतिक-सामाजिक क्षेत्र को अपूरणीय क्षति हुई है। पूर्व मुख्यमंत्री सतीश प्रसाद के आकस्मिक निधन पर जदयू ने गहरा शोक व्यक्त किया है। उनके निधन पर दुख जताते हुए प्रदेश जदयू अध्यक्ष व सांसद बशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि स्व. प्रसाद एक कुशल राजनेता एवं समाज सेवी थे। इनके निधन से बिहार की राजनीति को अपूरणीय क्षति हुई है। सूचना जनसम्पर्क मंत्री नीरज कुमार ने अपने शोक संदेश में कहा कि सतीश प्रसाद सिंह का निधन बिहार की एक बड़ी क्षति है।