बिजली कंपनी वसूलेगा बीलो ज्यादा ब्याज

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कंपनी ने आयोग को भेजा प्रस्ताव
बिहार के बिजली कंपनियो ने कई ऐसे निर्णय दिए है, जिससे लाखो बिजली उपभोक्ता बोझ बढ़ने वाला है, जो उपभोक्ता तय समय पर बिजली बिल जमा नहीं करेंगे, उन्हें अधिक ब्याज देना होगा। बिजली कंपनी ने तय समय से अधिक समय पर बिल भुगतान करने वालों से अब अधिक विलम्ब शुल्क अधिभार (डीपीएस) वसूलने का निर्णय दिया है। कंपनी ने इस बाबत बिहार विद्युत विनियामक आयोग को प्रस्ताव भेजा है। आयोग की मुहर लगते ही यह व्यवस्था लागू हो जाएगी। गौरतलब है कि राज्य में एक करोड़ 62 लाख से अधिक बिजली उपभोक्ता हैं। तय समय में बिल नहीं देने वालों की संख्या लाखों में है।
दरअसल, कोरोना काल में राज्य में बिजली की खपत में कोई खास अंतर भले ही नहीं आया हो, लेकिन बिल भुगतान में भारी अंतर आ गया। कोरोना के कारण हुए लॉकडाउन अवधि में भी राज्य की बिजली खपत 4000 मेगावाट से अधिक की थी, लेकिन बिल वसूली का औसत एक चैथाई तक आ पहुंचा था। कोरोना काल से पहले कंपनी की मासिक वसूली औसतन 800 करोड़ की थी जो लॉकडाउन में घटकर 200 से 300 करोड़ तक आ पहुंची थी। मौजूदा समय में भी कंपनी की वसूली उतनी नहीं हुई है जितनी पहले के समय में हुआ करती थी। जबकि अगर तय समय में उपभोक्ता बिजली बिल जमा कर दें तो कंपनी को हो रहा नुकसान कम हो जाएगा। साथ ही राज्य सरकार की ओर से हर साल हजारों करोड़ का दिया जा रहा अनुदान भी नहीं देना होगा। कंपनी की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ करने और लेटलतीफ बिल देने वालों पर शिकंजा कसने की रणनीति के तहत कंपनी ने डीपीएस में वृद्धि का निर्णय लिया है। अभी बिल जेनरेट होने के 10 दिनों तक लोगों से किसी तरह का शुल्क नहीं लिया जाता है, लेकिन इस अवधि के बाद लोगों से 1.25 फीसदी डीपीएस वसूला जाता है। कंपनी ने इसे बढ़ाकर 1.50 फीसदी करने का प्रस्ताव विनियामक आयोग को दिया है। कंपनी के प्रस्ताव पर अब आयोग को फैसला लेना है।

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