खुलेंगे सभी प्रमंडल मुख्यालय में खादी माॅल

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बोले उद्योग मंत्री शहनवाज हुसैन
राज्य के उद्याोग मंत्री मंगलवार को सदन में कांग्रेस के प्रेमचंद्र मिश्रा के सवाल पर कहा, सूबे के सभी प्रमंडल मुख्यालय में बहुत जल्द खुलेंगे खादी माॅल। प्रश्नकर्ता प्रेमचंद मिश्रा ने सरकार से पूछा था कि क्या सरकार राज्य के सभी खादी भंडारों-खादी ग्रामोद्योग केन्द्रों का जीर्णोंद्धार सह उसके कारगर संचालन के लिए कोई योजना बना रही है ताकि ग्रामीण स्तर पर रोजगार उपलब्ध कराया जा सके। जवाब में उद्योग मंत्री ने कहा कि राज्य में ग्यारह जगहों पर खादी ग्रामोद्योग की जमीन है। इसमें बागलपुर, मुगेर, पूर्णिया, मुजफ्फरपुर, छपरा, गया और दरभंगा भी शामिल हैं। दरभंगा में 100 कट्ठा जमीन है। उन्होंने कहा कि हर प्रमंडलीय मुख्यालय में खादी मॉल बनाने पर विचार किया जा रहा है। इसके पहले प्रश्न का जवाब देते हुए मंत्री ने कहा कि राज्य के विभिन्न जिलों स्थित खादी ग्रामोद्योग परिसर खादी और ग्रामोद्योग, राज्य कार्यालय शेखपुरा(पटना) भारत सरकार के स्वामित्व में है। खादी ग्रामोद्योग परिसर बिहार राज्य खादी ग्रामोद्योग बोर्ड पटना से संबंधित नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि विभिन्न जिलों में सभी खादी भंडार जिला खादी ग्रामोद्योग संघ के हैं। जो खादी और ग्राममोद्योग आयोग, भारत सरकार से वित्त पोषित स्वायत्त संस्था हैं।

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खाते में जाएंगे पंचायत पतिनिधियों का भत्ता
सदन में बोले मंत्री सम्राट चैधरी

त्रिस्तरीय पंचायत प्रतिनिधियों को भत्ता के लिए अब दफ्तरों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। अगली बार से भत्ता की राशि सीधे उनके खाते में ट्रांसफर कर दी जाएगी। पंचायती राज मंत्री सम्राट चैधरी ने विधान पार्षद दिलीप जायसवाल के ध्यानाकर्षण के जवाब में यह जानकारी दी। जायसवाल ने पूर्णिया, कटिहार और अररिया जिले के पंचायत प्रतिनिधियों को मानदेय का भुगतान नहीं होने का मामला उठाया था। इस दौरान संजय प्रसाद, सुमन महासेठ, सुबोध कुमार, रीना यादव ने भी पंचायत प्रतिनिधियों के मानदेय और अधिकारियों द्वारा उन्हें सम्मान नहीं देने का मामला उठाया। जवाब में मंत्री ने कहा कि भत्ता का भगुतान में किसी भी अधिकारी की लापरवाही सामने आती है तो उनपर आर्थिक दंड लगाया जाएगा और विभागीय कार्यवाही भी चलाएंगे।
उन्होंने कहा कि अगली बार से भत्ता भुगतान की पूरी प्रक्रिया ही बदल जाएगी। सरकार ऐसी व्यवस्था करने जा रही कि पंचायत प्रतिनिधियों का भत्ता सीधे उनके खाते में ट्रांसफर कर दिया जाए। साथ ही यह भी कहा कि जन प्रतिनिधियों के सम्मान से कोई भी अधिकारी खिलवाड़ करेगा तो कार्रवाई होगी।
मंत्री नीरज सत्ता-विपक्ष के निशाने पर आए गए
बिहार विधानसभा में मंत्री नीरज बबलू अपनी ही पार्टी के एक विधायक के सवाल पर फंस गए। विधायक ने सर्पदंश से मौत पर मुआवजे का सवाल उठाया था। मंत्री ने इस सवाल का ऐसा जवाब दिया कि वह विपक्ष के साथ पक्ष के भी निशाने पर आ गए। मंगलवार को विधानसभा में सांप का मुद्दा खूब गूंजा। यह सवाल सत्ताधारी भाजपा के विधायक पवन जायसवाल ने ही उठाया था। उन्होंने अपनी पार्टी से मंत्री नीरज कुमार सिंह उर्फ बबलू को घेर लिया। मंत्री के जवाब पर सदन में सरकार की खूब किरकिरी हुई। मामला, प्रश्नकाल के दौरान का है। विधायक ने पूछा था कि सर्पदंश से मृत्यु पर पीड़ित परिवार को मुआवजा दिए जाने का क्या प्रावधान है। भाजपा विधायक पवन जायसवाल ने यह सवाल पहले किया था जिसे आपदा प्रबंधन विभाग ने वन पर्यावरण विभाग को हस्तांतरित कर दिया था। आज एक बार फिर से सवाल यह सदन में आया तो वन पर्यवारण विभाग ने इसे एक बार फिर से आपदा प्रबधन विभाग को ही लौटा दिया। इसके बाद सदन में सरकार घिर गई। विधायक पवन जायसवाल ने इस पर गंभीर आपत्ति जताई। सदन में इस सवाल पर बहस होने लगी तो विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा ने हस्तक्षेप किया। उन्होंने दोनों विभागों को डिप्टी सीएम के साथ बैठक कर हल निकालने को कहा।
विपक्ष ने सरकार को घेरा
सत्ताधारी दल के विधायक के इस सवाल पर मंत्री घिरे तो विपक्ष को भी मौका मिल गया। विपक्ष ने सरकार को इस मुद्दे पर जमकर घेरा। एक विधायक ने पूछा कि राज्य में वन एवं पर्यावरण अधिनियम के तहत सांपों को मारने पर गैर जमानती वारंट जारी होता है लेकिन सांप के डसने पर मौत से मुआवजा क्यों नहीं मिलता। इस पर सत्ता पक्ष के पवन जायसवाल, संजय सरावगी समेत अन्य कई विधायकों ने कहा कि सवाल को लेकर अफसर गुमराह कर रहे हैं। एक-दूसरे विभाग में टालमटोल हो रही है। ऐसे अफसरों पर कार्रवाई होनी चाहिए।
पिछले साल सुशील मोदी ने दिया था ये जवाब
भाजपा के विधायक संजय सरावगी ने कहा कि पिछले साल तत्कालीन डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने सदन में आश्वासन दिया था कि सर्पदंश से मृत्यु पर वन पर्यावरण विभाग से पीड़ित परिवार को चार लाख रुपए का मुआवजा दिया जाएगा। लेकिन अब बताया जा रहा है कि विभाग में इस तरह का कोई प्रावधान नहीं है। सवाल एक विभाग से दूसरे विभाग को लौटा दिया जा रहा है।

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