आरजेडी ने जांच की मांग की
केंद्र और राज्य सरकार ने कोरोना संकट में गरीबो को मुपत में 5 किलो चावल और एक किलो दाल देने का एलान तो कर दिया, लेकिन आए माल आपूर्ति अधिकारियों और डीलरो के सांठगाठ से गरीबो को मिलने के बदले कही और चले गए है, सवाल उठता है कि केंद्र और राज्य सरकार नए और पुराने के आंकड़े के अनुसार अनाज दिए तो वितरण के पहले स्टाॅक नील कैसे हो गए, वार्ड 46 के डीलर के दुकान के बाहर खड़े कई उपभोक्ताओ ने बताया कि नए कार्ड तो उन्हें मिल गया, लेकन उन्हें राशन देने के बदले सिर्फ दौराया जा रहा है, ऐसा लगता है कि उनका एक महीने का राशन साफ कर दिया गया। आरजेडी के वरिष्ठ नेता रजनीकांत यादव ने कहा, सरकार ने जो नियम दिए है, उसके अनुसार निर्गत किए गए पुराने और नए कार्ड में परिवार के जितने लोगो का नाम है, उसके अनुसार प्रति व्यक्ति 5 किलो चावल और गेहुं देने का भी प्रावधान है, लेकिन नए और पुराने कार्डधारियों को डीलर स्टाॅक नही होने का बहाना बनाकर उन्हें अनाज देने से इंकार कर दिया है, और तो और प्रति परिवार के सदस्य के हिसाब से दो किलो चावल और गेहुं दिए जा रहे है, डीलरो के इस गोरखधंधे में कई वार्ड पार्षदो के हाथ भी सने है। एक तो नए को अभी राशन कार्ड दिए गए है, उनके एक महीने का राशन भी साफ कर दिया गया है, यह एक गंभीर सवाल है, सरकार को हो रहे इस घोटाले पर फौरी तौर कार्रवाई करनी चाहिए, वार्ड 46, 47, और 49 के डीलरो ने दुकान खोलना भी बंद कर दिया है, उनके दुकान पर नए और पुराने उपभोक्ता तो पहुंचते है, लेकिन दुकान खुले तो न किसी से बात हो।
केंद्र के दिए राशन को लूट रहे डीलर
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