किसान का कंधा और विपक्ष का बंदूक

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किसानो और सरकार फिर बैठक
किसानो की समस्या और उनके आंदोलन के 11 वे दिन भी कुछ हल नही निकला, हालांकि 30 किसान संगठनो की वार्ता केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मंगलवार की शाम सात वार्ता हुई, उम्मीद है कि बुधवार को फिर किसानो की वार्ता केद्रीय कृषि मंत्री के साथ होने वाला है, और उसमें कोई निदान निकल जाए, उसके पहले किसान संगठनो ने मंगलवार को भारत बंद का एलान किया, लेकिन किसान के उसस बंद में 22 विपक्षी दल कुद पड़े। बिहार में तो बंद का मिला जुला असर रहा, राजद, कांग्रेस और वाम दल ने तो पटना को बंद कराने में पुरी ताकत झोक दी, लेकिन बंद असर आंशिक रहा। वही दूसरी ओर तीन कृषि कानूनों के विरोध में बुलाए गए भारत बंद के समर्थन में जन अधिकार पार्टी (जाप) के राष्ट्रीय अध्यक्ष पप्पू यादव सड़क पर उतर गए, पप्पू यादव ने पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ इनकम टैक्स चैराहा से डाकबंगला चैराहा तक मार्च किया और कुदाल और हल के साथ सड़क पर उतर अपना विरोध जताया। जाप अध्यक्ष ने कहा कि किसानों और मजदूरों के अधिकारों को छिना जा रहा है। किसान अपने जीवन को बचाने के लिए आज अपना खेत छोड़ सड़क पर उतरा है। केंद्र सरकार की नजर किसानों की जमीन पर है। सरकार सस्ते दाम पर किसानों की जमीन को पूंजीपतियों को देना चाहती है। मुजपफरपुर, समस्तीपुर, सीताामढ़ी और मोतिहारी में भी बंद का असर मिला जुला देेखा गया।

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