फिर भी खामोश है कॉलेज प्रबंधन
श्यामनंदन सहाय कॉलेज में सीमेंट और बालू के नाम पर लूट खसोट का सिलसिला चरम पे है, अभी तक उक्त कॉलेज में स्थायी प्रचार्य नही दिए गए है, कई सालो से कॉलेज प्रबंधन का भार प्रभारी प्रध्यापक के जिम्मे है, हालांकि राज्य सरकार ने उक्त कॉलेज को डिग्री स्तर तक स्थायी मान्यता तो दे दी है, लेकिन कॉलेज प्रबंधन की लापरवाही के कारण उक्त कॉलेज नैक मूल्यांकन से दूर है, कई वार राज्य के शिक्षा विभाग और विश्वविद्यालय के के अधिकारियो ने कॉलेज प्रबंधन को नैक मूल्यांकन कराने की चेतावनी दी तो कॉलेन प्रबंधन की नींद खुली, लेकिन कुछ नही हुआ, हालांकि फिर विश्विद्याालय अधिकारियों के पत्र के बाद कॉलेज प्रबंधन कुछ दिनो से पुराने जर्जर भवनो को गिरवाने का काम तो शुरू किया, लेकिन सूत्रो की माने तो नए निर्माण के लिए जो कॉलेज खजाने से लाखो निकाले जा रहे है, उसमें भी हेरफेर किए जाने की सूचना है, सूत्रो का कहना है कि नए निर्माण के नाम पे जो बालू, छड सीमेंट मंगवाया जा रहा है, उसमें आधे छड, सीमेंट कही और चला जा रहा है, लेकिन इसकी खोज खबर ले कौन । कॉलेज ने जिसे सप्लाई ऑर्डर देने का अधिकार दे रखा है, जैसा की सूत्रो का कहना है वे खुद इस धंधे में संलिप्त बताया जा रहा है, विश्विधालय स्तर से इसकी जांच करायी गई तो सच सामने आ जाएगा । कॉलेज प्रबंधन की लापरवाही का आलम यह है कि राज्य सरकार ने कई माह पूर्व 3 करोड और डेढ करोड अनुदान तो विश्वविद्यालय के खजाने में भेज दी है, लेकिन आए उक्त राशि विश्विधालय के खजाने में यूं ही पडा है, इसके लिए राज्य के उच्च शिक्षा निदेशक तथा विश्वविधालय के अधिकारियों ने कई वार कॉलेज को यूसी रिपोर्ट देने की चेतावनी दी, लेकिन कॉलेज प्रबंधन ने चेतवनी को नजर अंदाज कर दिया, नतीजतन फिर सरकार ने कॉलेज प्रबंधन को लास्ट चेतावनी देते हुए दो दिनो में यूसी रिपोर्ट भेजने का आदेश दिया है, अन्यथा आए राशि लौट जाने की चेतावनी है ।