ऋणियों पर बैंको का कडा प्रहार, सूदखोरो से भी बदतर सलूक

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देश के वित मंत्री का आदेश ठेंगे पर

आरजेडी के अधिवक्‍ता प्रकोष्‍ठ के प्रदेश महासचिव सह वरीय अधिवक्‍ता रजनीकांत ने बुधवार को मुजफ्फरपुर में पत्रकारो से बात करते हुए कहा, देश में अगले साल लोक सभा का चुनाव होना है, देश के बैंको का आचरण होम या अन्‍य ऋणियों के साथ सूदखोरो से भी बदतर व्‍यवहार रहा तो केंद्र सरकार को इसका खमियाजा आने वाले चुनाव में भुगतना होगा, वैसे लोकसभा में सांसदो ने बैंको के गलत रवैये पर सवाल उठाए थे, और कहा था कि बैंक वसूली के दौरान ऋणियों के साथ सूदखोरो से भी बदतर व्‍यवहार करती है,आरबीआई का कोई गाइड लाइन भी बैंक नही मान रही है, जबाव में देश के वित मंत्री ने कहा,बैंको को ऋणियों के साथ सख्‍ती से पेश नही आने का आदेश दिए गए है, लेकिन उनके आदेश को भी बैंक अधिकारियों ने ठेंगा दिखा दिया,उन्‍होंने कहा, वित मंत्री के उक्‍त घोषणा के बाद बैंक अधिकारियों का आतंक ऋणियों पर और बढ गए, जो लोग नए सिरे से घर निर्माण का सपना संजोए बैठे थे, बैंको के इस हरकत से फिलहाल ऋण लेने से रूक गए है, क्‍योंकि वसूली के दौरान बैंक अधिकारियों का बदसलूकी ऋणियों पर कुछ ज्‍यादा ही बढ गया है । एक सवाल पर उन्‍होंने कहा, बैंको को ऋणियो को होमलोन या अन्‍य कोई ऋण मंजूरी करते समय नियमत कर्जदार को इएमआई की सूचना देनी चाहिए, उसमें कई ऐसे ऋणी होते है,जो अंग्रेजी नही समझते है, और उनसे पूर्व में तैयार किए गए समझौते पर बैंक हस्‍ताक्षर करा लेती है, लेकिन बैंक हस्‍ताक्षर लेने वख्‍त ऋणियों को यह नही बताती है कि आपको इएमआई कितना देना है, और अभी बिहार और मुजफरपुर के कई बैंको ने ऋणियो के साथ ऐसा ही किया है, बैंको द्वारा अचानक ऋणियो पर कई सालो का इएमआई का बोझ लाद दिया, और इएमआई चुकता करने का दबाब डाल रहा है, यहा सवाल उठता है कि ऋणियो पर इएमआई बकाया था, तो बैंक अधिकारियों ने पहले इसकी सूचना ऋणियो को क्‍यो नही दी, नोटिस क्‍यो नही दिया । नियमत बैंक को इसकी पूर्व सूचना ऋणियो को देनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नही किया गया । उन्‍होंने आगे कहा, कई बैंको ने ऋणियो को इएमआई वसूली के लिए तरह-तरह नम्‍बरो से फोन करवा रहा है, और धमकी भी दे रहा है, कई ऋणियो ने उनसे ऐसी शिकायत की है । जिसके खिलाफ पटना हाईकोर्ट में मुजफ्फरपुर के कुछ बैंको के खिलाफ जल्‍द एक जनहित याचिका दायर की जाएगी । उन्‍होंने एक अन्‍य सवाल पर कहा कि कई ऋणियों ने इसकी शिकायत प्रधानमंत्री से की है, उन्‍होंने इसकी जांच उसी बैंक अधिकारियों को दे दी, जो ऋणियो की बाते सुनने के बजाए अपने बैंक अधिकारियों को बचाते हुए एक तरफा कार्रवाई की, जो बिल्‍कुल गलत बात है,ऐसी हालत में क्‍या ऋणियो को न्‍याय मिल सकेगा ।

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